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इन लव विथ बिलियनेयर( कॉन्ट्रैक्ट मैरिज ) (भाग-23)





पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि रात के करीबन 3 बजे अवनी ...ऋषभ को लात मारकर बेड से नीचे गिरा देती है ,

अब आगे ,

ऋषभ हड़बड़ा जाता है और गिरने की वजह से उसके कमर में पेन होने लगता है वो खुद को घिसते हुए प्लग के पास जाता और और लाइट ऑन करके देखता है कि अवनी बेड पर बैठी  हुई है वो भी मुंह लटका के ......

ऋषभ -( कहराते हुए ) मुझे लात क्यों मारा ??

( अवनी कुछ नहीं कहती है )

ऋषभ - अब बताने का कष्ट करेंगी आप ??
अवनी - ( गुस्से में ) खुद ठूस लिया और मुझे पूछा भी नहीं ....
ऋषभ - क्या ...क्या ठूस लिया ???
अवनी -  भूख लगी है .....( बच्चो की तरह ) खाना चाहिए मुझे ...
ऋषभ - तो इसमें लात मारने की क्या जरुरत थी ??
अवनी - ताकि आप अपने रूल्स याद रखो .....(हूह )

( ऋषभ मन में ही सोचता है कि मेरे रूल्स मुझी पर भारी , अवनी  वहां से उठ कर जाने लगती है तो ऋषभ कहता है )

ऋषभ - अब आप कहा जा रही है  ?
अवनी - ( घूरते हुए ) ठूसने .....

( ऋषभ कुछ ना कहते हुए बेड पर जाकर लेट जाता है और अवनी चली जाती है रूम से बाहर .........बाहर पूरा अंधेरा ही होता है वो कहती है )

अवनी - अमीरजादे होकर पूरे घर  में अंधेरा कर रखा है 😕.....अब प्लग कहा पर खोजू .......

( वो धीरे धीरे सीढ़ियों की रेलिंग पकड़कर नीचे उतरती है तभी कोई पीछे से उसका हाथ पकड़ लेता है ......)

अवनी -( डर कर ) ऋषभ जी अब आप ये डराना बन्द करिए देखिए ...मुझे ये सब पसंद नहीं है ....

( कोई आवाज नहीं आती है तो ...वो आगे बढ़ने लगती है पर फिर से कोई उसका हाथ कस कर  पकड़ लेता है )

अवनी - ऋषभ जी अब आप प्लीज़ गुस्सा मत दिलाइए मुझे ...मेरा दिमाग आलरेडी बहुत ...

( वो पूरी बात भी नहीं ख़तम कर पाई होती है कि अपने सामने ही वो एक चमकती हुई चीज देखती है ,)
अवनी - आप ..आप ये चाकू क्यों लेकर खड़े है ?

( वो चाकू धीरे धीरे अवनी के हाथो के पास बढ़ने लगता है, जिसे देखकर वो बहुत ज़्यादा डर जाती है और जैसे ही  कुछ बोलने जाती है , उसका मुंह पीछे से कोई बन्द कर देता है और तभी अवनी के हाथ  पर चाकू से एक कट लगता  है ........जिसके कारण वो दर्द के मारे तिलमिला उठती है और जोर जोर से चिल्लाने लगती है ...आवाज  सुनकर ऋषभ  हड़बड़ा जाता है और भाग कर लाइट ऑन करके देखता है कि अवनी सीढ़ियों के पास बेहोश पड़ी है और उसके दाहिने हाथ से खून बह रहा है...........वो घबराकर अवनी के पास जाता है और उसका हाथ पकड़ कर खून बहने से रोकने लगता है ......पर खून रुकने का नाम ही नहीं ले रहा होता है तबतक पूरे घर की लाइट ऑन हो चुकी होती   है और सारे नौकर भी हॉल में पहुंच चुके होते है ........
ऋषभ अपनी शर्ट निकालकर अवनी का हाथ कस कर बांधता है और गुस्से में चिल्ला कर ड्राइवर को कार रेडी करने  और हॉस्पिटल मै भी फोन करने को कहता है ..............
फिर वो अवनी को गोद में उठाता है और भागते हुए कार में बिठाकर कार  फूल स्पीड मे चलाते हुए थोड़ी... देर बाद हॉस्पिटल पहुंच जाता है ....डॉक्टर पहले से ही बाहर रेडी खड़े होते है ...वो जल्दी जल्दी अवनी को लिटाते है और अंदर लेकर चले जाते है ..................बाहर  ऋषभ की पूरी हालत खराब हो चुकी होती है वो बार बार दरवाजे की तरफ देख रहा होता है ......तभी पीछे से कंधे पर कोई हाथ रखता है वो हड़बड़ा कर देखता है तो देव खड़ा होता है ,

देव - जीजा जी आप यहां ..इतनी रात में हॉस्पिटल ..और वो भी इस हालत में क्यों ??
( ऋषभ कोई जवाब नहीं देता है )
देव - आप ठीक तो है ??

( ऋषभ देव को पकड़ लेता है और कहता है )

ऋषभ - वो ...वो अवनी जी अंदर है ...
देव -( शॉक होकर) क्या ...क्या हुआ दीदी  को वो ठीक तो है ?
( तभी डॉक्टर बाहर निकलता है तो ऋषभ उसे पकड़ लेता है और कहता है )
ऋषभ - ( घबराकर ) अवनी  ठीक तो है ना ??
डॉक्टर - हमे ब्लड की जरुरत है .....
ऋषभ - हां आप बताइए मै अभी लेकर आता हूं....
डॉक्टर -( मुंह लटकाते हुए ) सॉरी पर हमारे ब्लड बैंक मे O-ve ब्लड नहीं है ........
ऋषभ - वॉट ( डॉक्टर का कॉलर पकड़ कर ) अगर
अवनी को कुछ हुआ तो किसी की खैर नहीं

देव - ( ऋषभ को खिंचते हुए ) जीजा जी आप शांत हो जाइए ....दीदी को कुछ नहीं होगा ....( डॉक्टर की तरफ मुड़कर ) जी मेरा O-ve ब्लड है .....

( ऋषभ खुश होकर देव को देखने लगता है और उसे गले लगा लेता है ....... फिर डॉक्टर ऋषभ को सांत्वना देता है और देव को लेकर कुछ चेकअप करता है और फिर वार्ड के अंदर लेजाकर ब्लड ट्रांसफर करने लगता है ..........थोड़ी देर बाद डॉक्टर आकर कहता है कि अब सब कुछ ठीक है और मिसेज कश्यप  को थोड़ी देर बाद होश आ जाएगा ........ऋषभ ये सुन मुस्कुराकर डॉक्टर को धन्यवाद कहता है और अंदर जाकर देखता है कि देव सोफे पर बैठकर अनार खा रहा तो वो ऋषभ को देखते हुए कहता है

देव - ( हंसते हुए  )  अनार खा रहा हूं ताकि खून फिर से बढ़ जाए क्या पता मेरे खून की जरुरत किसी को पड़ जाए ...... स्पेशली मेरे मित्र मच्छर जी को ...
( ऋषभ उसकी बातो को सुनकर हमुस्कुरा देता है और  उसके पास बैठकर  कहता है )

ऋषभ - तुम बिल्कुल मेरे भाई आनंद की तरह हो
देव - (खुस होकर)वाह वाह मुझे लगा था इस धरती पर मै अकेला एक सिंगल पीस हूं ही हि.....
ऋषभ - मुझे लगता है तुम्हे पहले कहीं देखा है .....( सोचते हुए ) पर याद नहीं आ रहा कहा......
देव -( हंसते हुए ) ये तो इंपॉसिबल है......क्योंकि हम कुछ ही महीने पहले इंडिया आए है ....
ऋषभ - हम ???
देव - ओह मेरा मतलब मेरे बड़े भाई साहेब नील .... टोटल खडूस  ....सिर्फ एक साल बड़े है पर रौब ऐसा की पूछो मत ..फिर भी मेरे प्यारे भ्राता है वो
ऋषभ - ओह ....
देव - वैसे मै 21 साल का हु ....(खुश होते हुए ) लगता नहीं हूं ना......
( ऋषभ कुछ नहीं कहता है )
देव - जानता था मै ...(😎) अपुन जैसा कोई नहीं .....
ऋषभ - तुम्हारा पैर कैसा है ...?
देव -( दिखाते हुए ) ये देखिए बिल्कुल मस्त मजे में है .....
.
( ऋषभ मुस्कुराते हुए वहां से उठकर अवनी के पास बैठ जाता है और उसे देखने लगता है .......तभी  देव कहता है ,)
देव - वैसे जीजा जी आप हमारी हेल्प करेंगे ?
ऋषभ - कैसी हेल्प ?
देव - हम किसी को खोज रहे है ......
ऋषभ - किसे ?
देव - अपनी बहन को ......
ऋषभ - ओह ...तुम फोटो देदो मै खोजवा दूंगा .....
देव -( माथे पर हाथ रखते हुए ) हमने उन्हें देखा ही तो नहीं है .....और खोजने का काम हम मॉम - डैड से छुपाकर कर रहे है ...इसलिए नाम भी नहीं पता .......पर हां हमारे पास एक लॉकेट है ....रुकिए दिखाता हूं...



ऋषभ - ( लॉकेट देखते हुए ) नाम क्यों नहीं पता ?

देव - क्योंकि हमने चुपके से सुना था कि हमारी कोई बहन भी है जब मॉम - डैड बात कर रहे थे....और नाम उन्होंने कहा नहीं था तो नहीं पता .....

ऋषभ - फिर ये लॉकेट कहा से मिला ?

देव -( मुस्कुराते हुए ) डैड के अलमीरा से .…...वो एकचुल्ली हम जब सुराग फाइंड कर रहे थे तो ये लॉकेट मिला बॉक्स में जिसपर लिखा था कि ...मै तुम्हे जरूर खोजूंगा मेरी बेटी ....बस फिर मै उठा लाया ....

ऋषभ - तो तुम्हें डिटेक्टिव के काम पसंद है ..
देव - जी
ऋषभ - ठीक है फिर ...मै कोशिश करूंगा .....
देव -( उबासी लेते हुए ) ठीक है जीजू ..मै चलता हूं वरना यही लुढ़क जाऊंगा ....

( फिर देव वहां से चला जाता है और ऋषभ भी अवनी के पास जाकर उसका हाथ सहलाते हुए कहता है )

ऋषभ - जिसने भी ये किया है अब वो मेरे हाथो से नहीं बचेगा ....
( और फिर ऋषभ भी थोड़ी देर बाद सो जाता है .......सुबह अवनी दर्द में ही कुछ कहती है तो ऋषभ की नींद खुल जाती है वो घबरा कर उठ जाता है और कहता है )

ऋषभ - आप ठीक तो है ??
अवनी - ( मुस्कुराते हुए ) जी ठीक हुए पर मुझे सच मे बहुत ज्यादा भूख लगी है ......बहुत ज़्यादा ....
ऋषभ - ठीक है मै अभी आपके लिए खाना लेकर आता हूं ....
( तभी दरवाजा खोलकर  आनंद वहीं खड़े होकर कहता है )

आनंद -
ओह हो भाई जब आनंद है अंदर
तो क्यों बन रहे  बंदर
गुस्सा है  आपसे आपका छछुंदर
कोई जरूरत नहीं है आपको
बनने को  सिकंदर ......

( अवनी हंसने लगती है तो ऋषभ कहता है )
ऋषभ -  ( आनंद से ) क्यों नाराज हो?
आनंद - क्या मै ??,...अरे मै क्यों नाराज होने लगा.......
ऋषभ - तुम्ही ने तो कहा कि गुस्सा है  आपसे आपका छछुंदर
आनंद - ओह ..वो तो मै विहान भाई की बात कर रहा हूं .....

(  तभी  पीछे से  विहान एक लात मारता है जिससे आनंद अंदर हो जाता है .........और मुड़ते हुए कहता है )

आनंद - लात क्यों मारा ?
विहान - छछुंदर कौन ?
आनंद - वो ..वो ...वो मै आदि भाई को कह रहा था .......
विहान - तब ठीक है .....

( पीछे से आदि एक लात मारता है विहान को... जिससे विहान अंदर हो जाता है और  साथ में आनंद को विहान के अंदर होने से धक्का लगता है तो  वो सीधे जाकर ऋषभ की गोद में गिर जाता है  ...........

( इतना सब कुछ देखकर अवनी जोर जोर से हंसने लगती है और हंसते हुए ही कह देती है कि दोनों भाइयों को  लात पड़ी है.........फिर अचानक से मुंह बंद कर लेती और देखती है कि ऋषभ उसे घुर कर देख रहा है.......)

आनंद - वैसे भाभी बात तो सही है मुझे और विहान दोनों को पड़ी .......अब ये आदि भाई नहीं बचेंगे ......

( अवनी तिरछी नजरों से ही ऋषभ को देखती है जो उसे घुर रहा होता है .....तो वो कहता है )

ऋषभ -( आनंद से ) भाई उठ जा वरना तुम नहीं बचोगे .....

( आनंद हंसते हुए उठता है और जाकर सोफे पर बैठ जाता है ....)

आदि -( अवनी के पास जाकर ) तुम ठीक तो हो ....( हाथो को सहलाते हुए ) जिसने भी किया है उसे हम छोड़ेंगे नहीं ...
अवनी - भाई उसे बाद में पकड़ना पहले मुझे खाने को तो  दो ( मुंह फुलाए हुए )

( विहान अवनी की दूसरी तरफ बैठकर )

विहान - ये लीजिए भाभी आपके लिए ...दोनों माताओ ने बनाया है और आपको पता है ( हंसते हुए )आज ऋषभ भाई का बेंड बजेगा

अवनी - क्यों ??
विहान - घर जाकर पता चल जाएगा डोंट वरी

( अवनी फिर मुंह हाथ धोकर खाना खाने जाती है तो खा ही नहीं पाती है...तभी आनंद कहता है ,)
आनंद -( ऋषभ को ) ए बेरोजगार आदमी जल्दी से बहुरिया को खाना खिलाओ दिख नहीं रहा क्या कि  भाभी के हाथ में दर्द है ....
ऋषभ -( घूरते हुए ) बेरोजगार और मै .... हहाहा ( थोड़े सख्ती से )पीटना है क्या मुझ बेरोजगार के हाथो से .....
अवनी - मै खुद खा लूंगी ...

( अवनी जैसे ही खाने जाती है बाएं हाथ से ऋषभ रोटी का टुकड़ा ले लेता है और अवनी को खिलाने लगता है......)
आनंद - ये हुई ना बात ...

..(...तभी आदि कहता है मुझे आप लोगो से एक जरूरी बात करनी है ....तो ऋषभ कहता है )

ऋषभ - थोड़ी देर बाद ...पहले अवनी जी को खा लेने दो.....
आदि - पर क्यों ??
ऋषभ - थोड़ी देर वेट कर लो फिर पता चल जाएगा ....

( अवनी उन लोगो को ऐसे बाते कर देख जल्दी से खाना खाने लगती है और फिनिश करके कहती है )

अवनी - चलों भाई शुरू है जाओ ....
आदि - एक्चुली रोहन के बारे में है ....

( आनंद उठ कर आदि के पास बैठ जाता है और कहता है )

आनंद - क्या बात है ???
आदि - यही की वो शादी - शुदा है , उसकी वाइफ अमेरिकन है और उसका नाम एलेक्सा है और उसकी एक बेटी भी है ...
ऋषभ - नहीं.... मार्था है ?

( आदि हैरानी से ऋषभ को देखने लगता है और कहता है )
आदि - ऋषभ तुम्हे इसके बारे में पता है ?
अवनी - हां
आदि - तुम्हे भी पता है ....
आनंद -( मुंह फेरकर) सबको पता है सिर्फ मुझे ही क्यों नहीं पता
ऋषभ - ( मुस्कुराते हुए ) तुम क्या करोगे जानकर ....
आनंद -( हकलाते हुए ) कुछ ....कुछ भी नहीं
विहान -( आदि से ) भाई आपको कैसे पता ये सब ?
आदि - अमेरिका में मै और रिया कई बार उसके रेस्टोरेंट मे जा चुके थे .....जब पहली बार यहां अवनी की शादी में देखा तो हैरान हो गया था ....हमे लगा था कि वो किसी काम से आया होगा ......पर रिसेप्शन वाले दिन खुशी के साथ देखा तो पता चला कि वो खुशी का मंगेतर है ........

अवनी  - ( आदि  को तकिया मारते हुए )  आपको  इतना कुछ पता था पर मुझे बताया क्यों नहीं ...??

आदि -( आउच कहते हुए ) सॉरी अवनी  उस टाइम हम इतने कन्फर्म नहीं थे...इसलिए किसी से कुछ नहीं कहा .......

विहान - अब तो सब पता चल गया है ना तो फिर चलो ....और रोहन का बेंड बजाते है .....
आनंद - ( संतरे को निचोड़ते हुए ) अब उसका बैंड के साथ साथ उस लंगूर को 😡लात - मुक्के - घुसे सब खिलाऊंगा ...मेरी खुशी को परेशान किया .....

ऋषभ - मेरी खुशी ???( जान बूझकर कर )

( आनंद रुमाल से मुंह ढककर वहां से भाग जाता है ...तब आदि कहता है )
आदि - तो भाई अब क्या करना है ?
विहान -  खुशी का क्या होगा अब ? उस पता चलेगा तो कैसा लगेगा ..??
आदि - सबसे पहले रोहन का सच सबके सामने लाना होगा ....और ( ऋषभ से )उसकी वाइफ का नाम मार्था नहीं एलेक्सा है ऋषभ ...

ऋषभ -( कुछ सोचते हुए ) अबतक रोहन को ये आइडिया हो चुका होगा की हम उसके सच के बारे में जान चुके है ..
विहान - कैसे ?

ऋषभ - बाद में सब बताऊंगा .....

( तभी डॉक्टर आ जाता है जिसकी परमिशन से ऋषभ ........अवनी को घर ले जाता है साथ मे आनंद , आदि , विहान भी )

उनके जाने के बाद देव आता है तो देखता है कि उस वार्ड में अब कोई और है .....वो हैरानी से यहां वहां देखने लगता है और कहता है ,

देव - अजीब है मुझसे मिले बिना दीदी चली गई

( तभी डॉक्टर  देव को आकर एक कार्ड देता है और कहता है ये ऋषभ ने दिया है ......डॉक्टर के जाने के बाद वो उसे ओपन करता है जिसमे लिखा होता है कि )

- तुम जब मेरे से मिलना चाहते हो मिल सकते हो और सच मै थैंक्यू सो मच ...मेरी अवनी जी की जान बचाने के लिए और नीचे मेरा एड्रेस  और number है कभी भी आ सकते हो
                      - ऋषभ कश्यप

देव मुस्कुराते हुए कार्ड फोल्ड करता है और पॉकेट मे रख कर.....डॉक्टर को थैंक्स कहता है और हॉस्पिटल से घर के लिए निकल जाता है .....

🌻🌻🌻

दूसरी तरफ ऋषभ जब घर पहुंचता है तो देखता है मेन गेट ओपन पड़ा हुआ है और निहारिका जी और सपना जी डंडा लेकर खड़े हुए है ...वो भी गुस्से ने ...तभी आनंद कहता है ,

आनंद - भाई आपका बैंड बजने वाला है......
विहान - साथ में हमारा भी ....

( सब कार से निकलते है जैसे ही ऋषभ निकलता है निहारिका जी उसे गुस्से में घूरने लगती है पर जब वो अवनी का हाथ पकड़ कर बाहर निकलता है तो वो डंडा फेंककर अवनी के पास चली जाती है और उसका हाथ पकड़कर अंदर आ जाती है और सोफे पर बिठाते हुए कहती है )

निहारिका जी - ( सभी नौकरों और सिक्योरिटी गार्ड को )सब  लाइन में खड़े  हो जाओ ..

( सब के खड़े हो जाने पर कहती है )

निहारिका जी - तुम सब कहा थे ....अपनी ड्यूटी करनी है या नहीं ....मुझे नहीं पता कि मै सही कह रही या गलत ...पर तुम सब की लापरवाही की वजह से ये आज हुआ 😡.....( सिक्योरिटी गार्ड से ) इतनी सिक्योरिटी गार्ड होने के बावजूद भी कोई कैसे घर में घुस गया ??
सब सर लटकाए हुए नीचे देख रहे होते है .....जवाब दो  सब .....अवनी उठकर निहारिका जी को पकड़ लेती है और कहती है ..)

अवनी - मॉम अब सब ठीक है ...प्लीज़ आप बैठ जाइए ...
ऋषभ - मॉम अवनी जी सही कह रही है .....
निहारिका जी - ( मायुस होते हुए ) तुम तो मुझसे बात भी मत करो ......सब तुम्हारी वजह से हुआ है क्या जरुरत थी इतनी दूर आकर रहने की .....
( इतना कहकर निहारिका जी जाने लगती है तो ऋषभ पीछे से उन्हे कसकर पकड़ लेता है और कहता है )
ऋषभ - मॉम प्लीज़ अब आप तो मुझसे नाराज़ मत होइए ...

( निहारिका जी कुछ नहीं कहती है )

ऋषभ - अगर आप ही मुझसे दूर चली जाएंगी तो मेरा क्या होगा मै तो जी ही नहीं ......

( निहारिका जी मुड़कर उसके मुंह पर हाथ रख देती और सर पर मारते हुए कहती है ..मै क्यों जाऊं दूर .....तुम तो मेरे लाडले हो ......पीछे से आनंद कसकर पकड़ लेता है और कहता है )

आनंद - मै क्या हूं फिर ?
निहारिका जी - मेरे नीले - पीले

( विहान भी पकड़ते हुए कहता है )

विहान - फिर मै क्या हुआ ?
निहारिका जी - ( हंसते हुए ) मेरे चमकीले ...
आदि - और मै ??
निहारिका जी -तुम  पहले पकड़ तो लो फिर बताती हु ....

( आदि भी पकड़ लेता है तो निहारिका जी कहती है )
निहारिका जी - तुम मेरे भड़कीले हो ( प्यार से )

( सब लोग हंसने लगते है तो अवनी कहती है मै क्या हूं फिर )
ऋषभ -( धीरे से ) नक्चड़ी ....

( सब उसकी बात सुन लेते और घूरने लगते है तो वो कहता है ...अभी आता हूं ..भागकर रूम मे चला जाता है .......नीचे सब लोग थोड़ी देर तक बात करते है फिर चले जाते है ।
इसी तरह एक - दो हफ्ते बीत जाते है जिसमे ऋषभ - अवनी की भरपूर नोक - झोंक होती है ...अब अवनी का रोज रोज का काम हो जाता है ऋषभ को रात को 3 बजे लात मारने का जिसकी वजह से वो परेशान होकर बीच मे तकिया रखकर सोता है ..पर अवनी ने भी प्रण ले लिया होता है कि इस अकडू को एक हंसी और प्यारे अकडू मे बदल कर रहेगी ............आदि सभी को रोहन का सच बता देता है श्वेता जी को छोड़कर क्योंकि ..उन्हे पता होता है कि बिना सबूत के वो मानने वाली नहीं है .....................इसी बीच सब लोग होटल में एलेक्सा से भी मिलते है जहा वो रोहन और उसकी शादी की फोटोग्राफ दिखाती है जब उसे सब बताते है कि रोहन चीट कर रहा है उससे और एक वीडियो भी ताकि श्वेता जी को विश्वास हो जाएं.......धीरे धीर अवनी का हाथ भी ठीक होने लगता है और आनंद पता करने में लगा होता है कि अवनी को चाकू किसने मारा था ,खुशी अब रोहन से दूर दूर रहने की कोशिश करती है और , टविंकी भी वहां से अपने घर जा चुकी होती है जिसकी वजह से विहान बहुत दुखी हो जाता है ...............दूसरी तरफ देव की टांग भी अब ठीक हो चुकी होती है .......एक शाम आनंद , विहान,ऋषभ, आदि और अवनी...रोहन का पूरा का पूरा सच दिखाकर जब ऋषभ के घर के लिए आ रहे होते है तो देखते है ..किसी की कार सामने खड़ी है .......अंदर जाकर देखते है कि सिक्योरिटी गार्ड सब डरे हुए .......विहान कार में से बोलता है ,

विहान - ( डरते हुए ) भाई मुझे लगता है छोटा ऋषभ आ गया है ......
अवनी - छोटा ऋषभ ..........कौन???


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ये रहा पूरा भाग ...वो गलती से छोटा रह गया था ,पढ़ लिया तो बताना जरुर कैसा लग

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4 Comments

Very intresting story

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Sandhya Prakash

19-Feb-2022 02:34 PM

Ye chhote rishabh ka kya chakr h, aur dev bhai lg rha h avni ka. Achchi khani h aapki

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Pamela

16-Feb-2022 11:31 PM

कहानी इंटरेस्टिंग मोड़ पर है। अगले भाग के इंतजार में।

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